भारत के साथ मालदीव के चल रहे विवाद के बीच मालदीव के विदेश मंत्री मूसा ज़मीर भारत दौरे पर आए हैं

भारत के साथ मालदीव के चल रहे विवाद के बीच मालदीव के विदेश मंत्री मूसा ज़मीर भारत दौरे पर आए हैं। ज़मीर का यह पहला भारत दौरा है। साथ ही भारत और मालदीव के बीच तनाव की स्थिति पैदा होने के बाद मालदीव के किसी भी मंत्री का भी यह पहला भारत दौरा है। भारत से पंगा लेना मालदीव को काफी भारी पड़ा है। मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर सबसे ज़्यादा निर्भर करती है और सबसे ज़्यादा भारतीय पर्यटक ही मालदीव जाते थे, पर जब से दोनों देशों के बीच विवाद शुरू हुआ है, तभी से मालदीव जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है। इससे मालदीव के पर्यटन व्यवसाय को बड़ा झटका लगा है। साथ ही दोनों देशों के व्यापारिक संबंध भी कमज़ोर पड़े हैं और इस वजह से भी मालदीव को काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में ज़मीर के इस दौरे का उद्देश्य दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सुधार करना है। इसी के चलते ज़मीर आज दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से भी मिले।भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने सोशल मीडिया पर मालदीव के विदेश मंत्री से हुई मुलाकात पर अपने विचार साझा किए। जयशंकर ने ज़मीर और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। भारत के बारे में बात करते हुए जयशंकर ने कहा, “जहाँ तक भारत का सवाल है, हमारी पड़ोस प्रथम नीति और सागर दृष्टिकोण स्पष्ट हैं। मुझे उम्मीद है कि आज की हमारी मीटिंग से हमें कई क्षेत्रों में अपने दृष्टिकोण के अभिसरण को मजबूत करने में मदद मिलेगी। भारत मालदीव को विकास में मदद करने के मामले में प्रमुख देश रहा है। हमारी परियोजनाओं ने मालदीव के लोगों के जीवन को फायदा पहुंचाया है। हमारी योजनाओं ने मालदीव के लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सीधे योगदान दिया हैं। बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं और सामाजिक पहलों से लेकर चिकित्सा, निकासी और स्वास्थ्य सुविधाओं तक में मालदीव की भारत ने मदद की है। भारत ने अतीत में अनुकूल शर्तों पर मालदीव की वित्तीय सहायता भी की है। भारत मालदीव के लिए कई मौकों पर हमेशा सबसे पहले मदद करने वाला देश रहा है। हमारे सहयोग मालदीव की सुरक्षा और बेहतरी भी बढ़ी है। दुनिया आज एक अस्थिर और अनिश्चित काल से गुजर रही है। ऐसे समय में जो हमने कोरोना काल के दौरान, प्राकृतिक आपदाओं और आर्थिक कठिनाइयों के दौरान देखा, पड़ोसियों के साथ घनिष्ठ साझेदारी बहुत अहम होती है। इसलिए आज हम अपने संबंधों के कई आयामों की समीक्षा करेंगे। यह हमारे सामान्य हित में है कि हम इस बात की समझ तक पहुंचें कि हम अपने रिश्ते को कैसे आगे बढ़ाते हैं।”