मुख्यमंत्री ने पशुपालन विभाग की समीक्षा ली बैठक

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश सरकार गौ-संरक्षण एवं गौ-संवर्धन के लिए निरंतर कार्य कर रही है। हमारा प्रयास है गौ-वंश की उचित देखभाल हो, उन्हें समुचित आहार एवं पोषण मिले और इसके साथ पशुपालकों की आय भी बढ़े। इसके लिए सरकार कई योजनाएं ला रही है। प्रदेश में पशुपालन एवं दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। पंजीकृत गौशाला में रहने वाले पशुओं को पहले 20 रुपए प्रति दिन प्रति पशु आहार अनुदान दिया जाता था, जिसे अब बढ़ाकर 40 रुपए किया जा रहा है। दुग्ध उत्पादकों को बोनस दिए जाने की भी सरकार की योजना है।। उन्होंने कहा कि गौ-वंश पालन से सीएनजी बॉयोगैस संयंत्र की स्थापना को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आज मंत्रालय में पशुपालन एवं डेयरी विभाग की समीक्षा बैठक ली। बैठक में पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार श्री लखन पटेल, मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव श्री मनीष रस्तोगी, प्रमुख सचिव पशुपालन एवं डेयरी श्री उमाकांत उमराव उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बैठक में निर्देश दिए कि प्रदेश में संचालित सभी गौ-शालाओं का निरीक्षण करवाया जाए। अनुदान की राशि का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। गौ-शालाओं के संचालन में समाज का भी पूरा सहयोग लिया जाना चाहिए। गौ-शाला में गौ-वंश के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिएं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि पंचायतवार अभियान चलाकर गोचर भूमि खाली कराई जाए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि घरों में गौ-वंश पालने के लिए भी शीघ्र योजना बनाई जाए। गाय का दूध अत्यंत पोषक होता है तथा बच्चों के कुपोषण को दूर करने में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। गाय के दूध के उत्पादन एवं विपणन पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। कुपोषित बच्चों को गाय का दूध उपलब्ध कराया जाए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के बड़े नगरों भोपाल, इंदौर, जबलपुर की तरह अन्य बड़ी नगर पालिकाओं में भी आधुनिक गौ-शालाओं का निर्माण किया जाएगा। प्रदेश में 187.00 लाख गौ-वंश है इनमें से 90.96 प्रतिशत यानी 170.537 लाख देसी नस्ल के गौ-वंश है। प्रदेश में 3.15 लाख गौ-वंश के लिए 2190 गौ-शालाएं संचालित की गई है। इनमें से प्रशासकीय स्वयं सेवी संस्थान द्वारा 627 गौ-शालाएं संचालित की जा रही है। इनमें 1.95 लाख गौ-वंश और मुख्यमंत्री गौ-सेवा योजना के अंतर्गत 1563 गौ-शालाओं में 1.20 लाख गौ-वंश रखे गए हैं।