विवाह के लिये कुंडली के साथ वर-वधु का सिकल सेल जेनेटिक कार्ड भी मिलाएं : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि सिकल सेल के संपूर्ण उन्मूलन के लिए हम सबकी सक्रिय सामूहिक भागीदारी आवश्यक है। सबके विश्वास, साथ और प्रयासों से ही रोग का उन्मूलन होगा। राज्यपाल श्री पटेल विश्व सिकल सेल दिवस के अवसर पर बड़वानी में आयोजित राज्य स्तरीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इंदौर से वर्चुअली कार्यक्रम से जुड़े। कार्यक्रम में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का प्रदेश की जनता के नाम संदेश और राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे सिकल सेल उन्मूलन प्रयासों पर आधारित अभिनंदन-पत्र का उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल द्वारा वाचन किया गया।

सिकल सेल के उन्मूलन के लिए दिए मंत्र

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि सिकल सेल उन्मूलन के लिए जागरूकता सर्वाधिक आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विवाह के पूर्व युवक-युवती अपने जेनेटिक कार्ड का मिलान ज़रूर करें। इसी प्रकार गर्भावस्था में माँ और बच्चे की सिकल सेल जाँच और जन्म के 72 घंटों में नवजात की जाँच किया जाना ज़रूरी है। राज्यपाल श्री पटेल ने सिकल सेल से पीड़ित रोगी और वाहकों से भी अपील की है कि वे नियमित व्यायाम, पौष्टिक आहार और चिकित्सक की सलाह अनुसार दवाइयाँ लें। उन्होंने अभिभावकों से भी कहा कि सिकल सेल प्रभावित बच्चों के साथ आत्मीय व्यवहार करें। उन्हें सिकल सेल को समझने, लड़ने और हराने में संबल प्रदान करें।

युवा अपनी प्रतिभा का उपयोग जनजातीय कल्याण में करें

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि सिकल सेल की जागरूकता और रोकथाम प्रयासों को शैक्षणिक संस्थानों की विभिन्न गतिविधियों के आयोजन के साथ पाठ्यक्रमों में भी शामिल करने के लिये कहा। उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई करने वाले जनजाति समुदाय के विद्यार्थियों से अपील की कि वे सिकल सेल रोग उन्मूलन के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करें। इस बीमारी पर शोध करें। अपने ग्रामीण अंचलों में जागरूकता प्रयासों में सहभागी बने। अपने ज्ञान और प्रतिभा का उपयोग अपने समुदाय के कल्याण और विकास में करें।

प्रदेश में 1 करोड़ 6 लाख से नागरिकों की सिकल सेल स्क्रीनिंग हुई पूरी : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हमारे समाज में शादी से पहले कुंडली मिलान की परंपरा है। अब समय आ गया है कि कुंडली के साथ हम वर-वधु का ‘सिकल सेल जेनेटिक कार्ड’ भी मिलाएं। इस बीमारी का पता जितनी जल्दी चल जाए इसे नियंत्रण में रखने और रोगी को स्वस्थ रखने की संभावना उतनी ही अधिक होती है। प्रदेश का जनजातीय समाज बड़ी संख्या में इस बीमारी से प्रभावित है। सिकल सेल हमारे लिए केवल एक स्वास्थ्य संकट नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक चुनौती भी है। वर्ष 2047 तक सिकल सेल को जड़ से मिटाने का लक्ष्य लेकर प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में “राष्ट्रीय सिकल सेल उन्मूलन मिशन-2047” प्रारंभ किया गया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्क्रीनिंग, रोग प्रबंधन, परामर्श और जन-जागरूकता, इन चारों महत्वपूर्ण स्तरों पर प्रदेश में समन्वित रूप से कार्य किया जा रह है। प्रदेश में अब तक 1 करोड़ 6 लाख से नागरिकों की सिकल सेल स्क्रीनिंग पूरी की जा चुकी है। सभी चिन्हित मरीजों को हाइड्रॉक्सी यूरिया, फॉलिक एसिड और नि:शुल्क रक्तदान की सुविधा दी जा रही है। सिकल सेल रोगियों की जेनेटिक कॉउंसिलिंग का कार्य भी जारी है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने खरगोन जिले में नए मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इससे संपूर्ण निमाड़ अंचल को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिलेगा। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव बड़वानी पहुंचने के लिए भोपाल से रवाना हुए लेकिन मौसम खराब होने के कारण वे बड़वानी नहीं पहुंच पाए और उन्होंने इन्दौर से ही कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित किया।

राज्यपाल श्री पटेल ने प्रदेश ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर सिकल सेल एमीनिया के प्रति जागरुकता अभियान चलाया

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्यपाल श्री मंगूभाई पटेल ने प्रदेश ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर पर सिकल सेल एमीनिया के प्रति जागरुकता अभियान चलाया है। प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र को इसका लाभ मिला है। सिकल सेल बीमारी से भावी पीढ़ियां खराब हो जाती हैं। सिकल सेल बीमारी से जनजातीय क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक संकट खड़ा हो रहा है। सिकल सेल एनीमिया होने पर हमारी रक्त कोशिकाएं सिकुड़ने लगती हैं। यह बीमारी आनुवांशिक तौर पर आगे बढ़ती रहती है। प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग की है। इसमें बड़वानी जिले के सिकल सेल से सबसे ज्यादा प्रभावित होने की जानकारी मिली। यहां सिलक मित्र तैनात किए गए हैं। मु्ख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सिकल सेल एमीनिया से डरने की आवश्यकता नहीं है। स्क्रीनिंग और रोकथाम के योग्य तरीकों से इस बीमारी से मुक्ति मिल सकती है। नवजात शिशुओं की जांच के लिए एम्स भोपाल में सिकल सेल जांच यूनिट शुरू की गई है। प्रदेश में जारी अभियान सिकल सेल के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसा है।

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