सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय: उज्जैन की ज्ञान परंपरा का पुनर्लेखन

 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया नाम पट्टिका का अनावरण

शुक्रवार को उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में ‘नवीन नाम पट्टिका अनावरण समारोह’ आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर विश्वविद्यालय के नाम पट्टिका का अनावरण किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपने संबोधन में कहा कि इस ऐतिहासिक नाम परिवर्तन के साथ ‘विक्रम विश्वविद्यालय’ ने ‘सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय’ के रूप में अपनी गौरवशाली यात्रा पुनः प्रारंभ की है। उन्होंने उज्जैन को भारत की सांस्कृतिक राजधानी बताया, जहाँ महाकाल का आशीर्वाद है, भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा प्राप्त की और सम्राट विक्रमादित्य ने धर्म, न्याय तथा ज्ञान की प्रतिष्ठा स्थापित की।

डॉ. यादव ने ज़ोर दिया कि यह नाम परिवर्तन केवल शब्दों का नहीं, बल्कि ‘सम्राट विक्रमादित्य’ की पहचान की पुनर्स्थापना है, जो राष्ट्र गौरव और भारतीय परंपरा का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय शोध, नवाचार और समाज के विकास में सक्रिय भूमिका निभा रहा है तथा 175 से अधिक महाविद्यालयों से संबद्ध होकर ज्ञान का प्रकाश फैला रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विक्रमादित्य जैसे व्यक्तित्व सदियों में एक बार जन्म लेते हैं, जो न केवल उज्जैन की पहचान थे, बल्कि भारत की आत्मा का स्वरूप थे। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना विक्रमादित्य से करते हुए कहा कि पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में विकास, आत्मविश्वास और वैश्विक पहचान का युग प्रारंभ किया है।

कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि यह दिन विश्वविद्यालय के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज होगा। उन्होंने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य ज्ञान, संस्कृति और न्याय के प्रतीक हैं, और यह कदम उज्जैन की प्राचीन ज्ञानधारा को पुनर्जीवित करेगा।

इस अवसर पर कुलगुरु प्रो. भारद्वाज ने मुख्यमंत्री को स्मृति चिन्ह और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने इस दौरान कई पुस्तकों का विमोचन किया और ‘मेरी स्मृतियों में’ शीर्षक से एक विशेष पत्रिका का भी अनावरण किया।

 

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