यात्री परिवहन व्यवस्था होगी एकीकृत, सीएम ने कहा- सामान्य यात्रियों की सुविधा सर्वोच्च प्राथमिकता

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को मंत्रालय में मध्यप्रदेश यात्री परिवहन और इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के संचालक मंडल की बैठक में यात्री सुविधाओं पर केंद्रित कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए। परिवहन मंत्री श्री उदय प्रताप सिंह और मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन बैठक में उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री के मुख्य निर्देश:
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सर्वोच्च प्राथमिकता: यात्री परिवहन व्यवस्था विकसित करने में सामान्य यात्री की सुविधा और सुगमता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
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तकनीकी एकीकरण: यात्री बसों का प्रबंधन अद्यतन तकनीक से किया जाए। व्हीकल लोकेशन, बस आवागमन की सूचना और किराया संकलन जैसी सुविधाएँ ‘ऐप’ पर उपलब्ध हों।
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बस एकीकरण: नगर निगम की बसें और केंद्र सरकार की ई-बसें भी एक ही व्यवस्था के अंतर्गत शामिल हों।
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रूट अनुशासन: प्रशासनिक अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि बस संचालक केवल मुनाफे वाले रूट पर ही नहीं, बल्कि परमिट वाले सभी रूट्स पर वाहन चलाएँ। उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्यवाही हो।
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पर्यावरण संरक्षण: पर्यावरण के लिए 15 साल या उससे पुरानी यात्री बसों को ऑफ रूट किया जाए।
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अन्य पहल: अन्य राज्यों की सर्वश्रेष्ठ यात्री बस सेवा व्यवस्था का अध्ययन कर उन्हें प्रदेश में अपनाया जाए।
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कंपनी लोगो: प्रदेश में संचालित होने वाली यात्री परिवहन कंपनी के लिए लोगो डिजाइन प्रतियोगिता आयोजित की जाए।
नई व्यवस्था की मुख्य विशेषताएं (Intelligent Transport Management System):
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आधार: यह व्यवस्था उबर/ओला के समान बस ऑपरेटरों के साथ सहभागी आधार पर संचालित होगी।
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प्लेटफार्म: देश का प्रथम एकीकृत सॉफ्टवेयर (18 मॉड्यूल शामिल, जैसे व्हीकल लोकेशन ट्रेकिंग, ऑटोमेटिक किराया संकलन, शिकायत निवारण) विकसित किया जा रहा है।
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किराया निर्धारण: किराया निर्धारण थोक मूल्य सूचकांक, ईंधन दर, श्रम दर आदि के आधार पर विकसित फार्मूले से होगा।
क्रियान्वयन की योजना:
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प्रथम चरण: इंदौर और उसके बाद उज्जैन से व्यवस्था शुरू होगी।
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प्रथम चरण के क्षेत्र: इंदौर (धार, झाबुआ, खरगोन आदि सहित), उज्जैन (देवास, मंदसौर, शाजापुर आदि सहित)
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विस्तार: यह सुविधा अंततः सात चरणों में प्रदेश के समस्त संभागों (सागर, जबलपुर, भोपाल, नर्मदापुरम, रीवा, शहडोल, ग्वालियर, चंबल) के जिलों तक विस्तारित की जाएगी।



