विक्रमादित्य महानाट्य का आयोजन 12 से 14 अप्रैल तक दिल्ली में होगा

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि जड़ों से जुड़े रहकर ही विकास संभव है। इस उद्देश्य से प्रदेश सरकार ‘विरासत से विकास’ की रणनीति पर काम कर रही है। प्रदेश में सम्राट विक्रमादित्य और राजा भोज का गौरवशाली इतिहास रहा है। इन महानायकों के पराक्रम और विशेषताओं को जनता के बीच लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार धार्मिक पर्यटन को विशेष महत्व दे रही है। शासन की व्यवस्थाओं और योजनाओं से वर्ष 2028 में उज्जैन में आयोजित होने वाला सिंहस्थ महाकुंभ अदभुत होगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव दिल्ली में एक निजी समाचार चैनल के ‘सत्ता सम्मेलन कार्यक्रम’ को संबोधित कर रहे थे। 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि 2000 वर्ष पूर्व सम्राट विक्रमादित्य ने नवरत्नों द्वारा शासन की व्यवस्थाओं का संचालन कर गणतंत्र आधारित सुशासन स्थापित किया। सम्राट विक्रमादित्य ने अपने राज्य में जनता का कर्ज माफ कर विक्रम संवत का परावर्तन भी किया। उनके इस पुरुषार्थ और सुशासन के प्रतिमान के विभिन्न आयामों का उत्सव मनाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार आगामी 12 से 14 अप्रैल तक दिल्ली में विक्रमादित्य महानाट्य का आयोजन करेगी। एक हजार वर्ष पूर्व राजा भोज ने चट्टानों पर आधारित जल संरचनाओ के माध्यम से जल संचयन की तकनीक सिखाई है। प्रदेश के इन महानायकों में सम्राट विक्रमादित्य और राजा भोज के नाम पर भोपाल में स्मृति द्वार बनाए जा रहे हैं। कालगणना की नगरी उज्जैन में राजा जयसिंह द्वारा स्थापित पहली वेदशाला और नवग्रह की उपासना से जुड़ी प्राचीन वैदिक पद्धति के आधार पर वैदिक घड़ी और ऐप बनाए गए हैं। 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि 12 वर्ष में बृहस्पति के सिंह राशि में प्रवेश का उत्सव उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ के रूप में मनाया जाता है। मेला संस्कृति की प्राचीन परंपरा को संरक्षित करने के उद्देश्य से शासन द्वारा वर्ष 2028 के सिंहस्थ कुंभ के लिए अभी से योजना बनाकर कार्य आरंभ किया जा चुका है। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने तथा श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए शासन द्वारा व्यापक स्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं। प्रयागराज महाकुंभ के आयोजन से प्रेरणा लेकर योजना बनाकर कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आश्वासन दिया कि सिंहस्थ कुंभ-2028 का आयोजन अद्भुत होगा। 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि प्रदेश में मिल-जुलकर रहने की ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ आधारित संस्कृति है और सभी धर्म के लोग एक दूसरे के त्योहारों में आनंद से सहभागी बनते हैं। खाद्य सुरक्षा कानून के तहत खुले में मांस सहित अन्य खाद्य सामग्री का विक्रय नियमानुसार नियंत्रित किया जाता है। प्रदेश में कानून सम्मत शासन चलता है, जिसका धर्म से कोई लेना देना नहीं है।

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