प्रदेश में पहली बार एआई, सिपरी और प्लानर सॉफ्टवेयर जैसी तकनीक का उपयोग

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गरीबों, किसानों, युवाओं और महिलाओं को मजबूती देने के साथ ही प्रकृति, पर्यावरण, जल संरक्षण की दिशा में देश भर में चलाए जा रहे अभियान को मध्यप्रदेश सरकार मिशन के रूप में चला रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में जल क्रांति हो रही है। इस क्रांति के अंतर्गत जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के तहत प्रदेश में निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा खेत तालाब, अमृत सरोवर, डगवेल रिचार्ज बनाए जा रहे हैं। इन कार्यों से प्रदेश में सिंचाई का रकबा बढ़ेगा, साथ ही भू-जल स्तर में भी सुधार होगा और ग्रामीण आजीविका को भी बढ़ावा मिलेगा।

मनरेगा परिषद द्वारा जनवरी-फरवरी माह में ही शुरू कर दी गई थी तैयारी, प्लानर सॉफ्टवेयर से बनाई कार्ययोजना

बारिश के पानी का संचयन बड़े स्तर पर किया जा सके, इसके लिए मनरेगा परिषद द्वारा जल गंगा संवर्धन अभियान शुरू होने के तीन माह पहले जनवरी से ही तैयारी प्रारंभ कर दी गई थी। इसके लिए परिषद द्वारा प्लानर सॉफ्टवेयर तैयार कराया गया जिसमें कम से कम प्रविष्टि करते हुए ग्राम पंचायत स्तर पर योजना को अंतिम रूप दिया जा सके। जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत लिए जाने वाले नवीन कार्यों को इस प्लान में शामिल किया गया। इसके अलावा पिछले वर्ष के प्रगतिरत कार्यों को पूरा करने के लिए उन कार्यों को भी कार्ययोजना में जोड़ा गया गया। प्लानर सॉफ्टवेयर का मुख्य उद्देश्य था मनरेगा के उद्देश्यों एवं प्रावधानों का पालन कराते हुए कार्ययोजना को आसान तरीके से बनाया जाना। परिषद द्वारा साफ्टवेयर के माध्यम से ग्राम पंचायत स्तर पर कराए जाने वाले कार्यों की वार्षिक कार्ययोजना तैयार कराई। खास बात यह रही कि मध्यप्रदेश इस तरह का नवाचार करने वाला देश का पहला राज्य भी है।

सिपरी साफ्टवेयर से किया स्थल का चयन

तकनीक के साथ बारिश के पानी को संचय किया जा सके, साथ ही नई जल संरचनाओं के निर्माण के लिए स्थल चयन में भी आसानी हो, इसके लिए मनरेगा परिषद द्वारा सिपरी सॉफ्टवेयर बनाया गया। यह सॉफ्टवेयर (सॉफ्टवेयर फॉर आइडेंटीफिकेशन एंड प्लानिंग ऑफ रूरल इन्फ्रास्ट्रक्चर) एक उन्न्त तकनीक का साफ्टवेयर है, जिसे महात्मा गांधी नरेगा, मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद, भोपाल द्वारा MPSEDC और इसरो के सहयोग से तैयार कराया गया है। इस साफ्टवेयर का मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण के लिए उपयुक्त स्थलों की सटीक पहचान कर गुणवत्तापूर्ण संरचनाओं का निर्माण सुनिश्चित करना है। इसके अलावा यह भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) आधारित वैज्ञानिक पद्धतियों से जल सरंचना स्थलों के चयन को अधिक सटीक बनाता है। सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रदेश में बड़ी संख्या में नई जल संरचनाओं जैसे खेत तालाब, अमृत सरोवर और डगवेल रिचार्ज के निर्माण के लिए स्थल का चयन किया गया। प्रदेश में किए गए इस तरह के प्रयोग को देखने के लिए बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र से अधिकारियों का दल भी आ चुका है।

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