भारतीय सेना ने ‘न्यू कोट कॉम्बैट’ (डिजिटल प्रिंट) का कराया पेटेंट, अनधिकृत उपयोग पर होगी कानूनी कार्रवाई

नई दिल्ली। भारतीय सेना ने जनवरी 2025 में अपना न्यू कोट कॉम्बैट (डिजिटल प्रिंट) पेश किया, जो आधुनिकीकरण और स्वदेशीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस वर्दी को सेना डिज़ाइन ब्यूरो के तत्वावधान में राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट), नई दिल्ली द्वारा एक परामर्श परियोजना के रूप में डिज़ाइन और विकसित किया गया है। यह तीन-परतों वाला परिधान है, जिसमें उन्नत तकनीकी वस्त्रों का उपयोग किया गया है और इसका डिज़ाइन एर्गोनॉमिक है। इसे विभिन्न जलवायु और सामरिक परिस्थितियों में सैनिक आराम, गतिशीलता और परिचालन दक्षता को बेहतर बनाने के लिए अनुकूलित किया गया है।

✅ डिज़ाइन का पंजीकरण और आईपीआर: भारतीय सेना ने इस न्यू कोट कॉम्बैट के डिज़ाइन को पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक, कोलकाता के पास सफलतापूर्वक पंजीकृत कराया है।

  • डिज़ाइन आवेदन संख्या: 449667-001

  • दिनांक: 27 फरवरी 2025

  • प्रकाशन: 07 अक्टूबर 2025 को पेटेंट कार्यालय के आधिकारिक जर्नल में प्रकाशित।

इस पंजीकरण के साथ, डिज़ाइन और पैटर्न दोनों के बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) पूरी तरह से भारतीय सेना के पास सुरक्षित रहेंगे। यह कानूनी सुरक्षा सेना के एकमात्र स्वामित्व को स्थापित करती है और किसी भी अनधिकृत संस्था द्वारा इसके निर्माण, पुनरुत्पादन या व्यावसायिक उपयोग को प्रतिबंधित करती है। इन अधिकारों के उल्लंघन पर डिज़ाइन अधिनियम, 2000 और पेटेंट अधिनियम, 1970 के प्रावधानों के अनुसार कानूनी परिणाम, जिनमें निषेधाज्ञा और क्षतिपूर्ति के दावे शामिल हैं, भुगतने होंगे।

🧥 न्यू कोट कॉम्बैट पहनावा के घटक:

  1. बाहरी परत: डिजिटल रूप से मुद्रित कोट, जिसे विभिन्न भूभागों में परिचालन स्थायित्व और छिपने (छिपाव) के लिए डिज़ाइन किया गया है।

  2. आंतरिक जैकेट: हल्की और सांस लेने योग्य सामग्रियों से बनी मध्य परत, जो गति को बाधित किए बिना गर्मी प्रदान करती है।

  3. थर्मल परत: आधार परत जो अत्यधिक मौसम में तापीय विनियमन और नमी नियंत्रण सुनिश्चित करती है।

यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ और सेना के ‘परिवर्तन के दशक (2023-2032)’ के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो रक्षा वस्त्र प्रणालियों में नवाचार और आत्मनिर्भरता पर सेना के बढ़ते जोर को रेखांकित करती है।

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