पद्मभूषण डॉ. विजय पी. भटकर और डॉ. नरेन्द्र नाथ लाहा मानद उपाधि से सम्मानित

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि विद्यार्थी भावी जीवन में निरंतर सीखने की भावना जागृत रखें और “अन-लर्निंग, रि-स्किलिंग व अप-स्किलिंग” पर विशेष ध्यान दें। साथ ही यह संकल्प लें कि जीवन के उतार-चढ़ाव और विपरीत परिस्थितियों में भी अपने आदर्शों, ज्ञान और आचरण के उच्चतम प्रतिमानों का निष्ठा के साथ पालन करेंगे। राज्यपाल श्री पटेल ने यह बात जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कही। उन्होंने गोल्ड मैडल व उपाधियाँ प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों, उनके अभिभावक व गुरुजनों को बधाई दी और सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

राज्यपाल श्री पटेल की अध्यक्षता एवं नालंदा विश्वविद्यालय बिहार के चांसलर पद्मभूषण डॉ. विजय पी. भटकर के मुख्य आतिथ्य में आयोजित हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. अविनाश तिवारी, कुलाधिसचिव प्रो. डी. एन. गोस्वामी, कुल सचिव श्री अरूण सिंह चौहान एवं कार्य परिषद के सदस्यगण मंचासीन थे। दीक्षांत समारोह में पद्मभूषण डॉ. विजय पी. भटकर को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि और साहित्यकार व वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. नरेन्द्र नाथ लाहा को डीलिट् की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। साथ ही शिक्षण सत्र 2022-23 और 2023-24 के 81 विद्यार्थियों को 126 गोल्ड मैडल, 297 विद्यार्थियों को पीएचडी (डॉक्टर ऑफ फिलोसपी) एवं 397 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर उपाधियाँ प्रदान की गईं। विश्वविद्यालय की प्रतिभावान छात्रा सुश्री अंकिता मिश्रा को 4 एवं सुश्री त्रिपर्णा बारिक को 3 गोल्ड मैडल देकर सम्मानित किया गया।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि दीक्षांत कार्यक्रम सदैव से हमारी प्राचीन संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। प्राचीन काल में गुरुकुल शिक्षा में अध्ययन के समापन के बाद घर वापस लौटने के लिये समावर्तन संस्कार होता था। आधुनिक दीक्षांत समारोह उसी का एक रूप है। उन्होंने कहा दीक्षांत समारोह एक भावनात्मक अनुबंध का प्रतीक भी हैं, जिसमें छात्र-छात्राएँ अपने ज्ञान और मेधा के साथ गुरुजनों के बताए मार्ग पर चलने और राष्ट्र सेवा की शपथ लेते हैं। राज्यपाल श्री पटेल ने विद्यार्थियों से कहा कि तेजी से बदलते वैश्विक परिवेश में या तो आप परिवर्तन को प्रेरित करते हैं अथवा परिवर्तन आपको प्रेरित करता है। इसलिए विद्यार्थी अपने जीवन के लक्ष्य निर्धारित करें और एकाग्र होकर उन लक्ष्यों को हासिल करने के लिये प्राण-पण से जुट जाएँ।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से समर्थ, सशक्त, समृद्ध और विकसित भारत बनाने के लिये भावी पीढ़ी को मति, गति और दिशा निर्धारण करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी विश्वविद्यालयों को सौंपी है। विश्वविद्यालयों से अपेक्षा है कि शिक्षा के इस मंदिर में विद्यार्थियों को ज्ञान, विज्ञान के साथ बौद्धिकता और संस्कारों के समन्वय की सीख भी दें। हर विधा के विद्यार्थियों को शोध एवं नवाचारों को समझने और अपनाने का अवसर भी विश्वविद्यालय में मिले।

पद्मभूषण डॉ. विजय पी. भटकर ने दीक्षांत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि अच्छे विश्वविद्यालय देश को महान बनाते हैं। खुशी की बात है कि जीवाजी विश्वविद्यालय “मेक द नेशन” के पथ पर चलकर देश को महान बनाने के लक्ष्य पर आगे बढ़ रहा है। हमारी कामना है कि यह विश्वविद्यालय विश्व स्तरीय विश्वविद्यालय का रूप लेकर नॉलेज बेस्ड इंडिया के निर्माण में अपना अहम योगदान दे। डॉ. भटकर ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि जीवाजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में गोल्ड मैडल व उपाधियाँ प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या अधिक है। इससे निश्चित ही महिला सशक्तिकरण के प्रयासों को बल मिलेगा।

जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलगुरू (कुलपति) प्रो. अविनाश तिवारी ने दीक्षांत उपदेश दिया एवं गोल्ड मैडल व उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शपथ दिलाई।

डॉ. नरेन्द्र नाथ लाहा ने मानद डीलिट् उपाधि प्रदान करने के लिये जीवाजी विश्वविद्यालय के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया और यह उपाधि अपने माता-पिता को समर्पित की।

दीक्षांत समारोह के आरंभ में शोभा यात्रा निकली। शुभारंभ व समापन राष्ट्रगान जन-गण-मन के सामूहिक गान के साथ हुआ। राज्यपाल श्री पटेल सहित अन्य अतिथियों ने दीक्षांत समारोह में जीवाजी विश्वविद्यालय की स्मारिका का विमोचन भी किया। संचालन विश्वविद्यालय के कुल सचिव श्री अरूण सिंह चौहान द्वारा किया गया।

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