राज्यपाल 44वीं अखिल भारतीय गुलाब प्रदर्शनी के समापन समारोह में हुए शामिल

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि हमारी संस्कृति प्रकृति प्रेम पर आधारित है। जिसमें दैनिक दिनचर्या से लेकर जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों में फूलों का विशिष्ट महत्व है। गुलाब का हमारी संस्कृति में विशिष्ट स्थान है। गुलाब के संपूर्ण जीवनकाल में जीवन दर्शन भी समाहित है। राज्यपाल श्री पटेल 44वीं अखिल भारतीय गुलाब प्रदर्शनी के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर आयोजित गुलाब प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
राज्यपाल श्री पटेल ने समापन समारोह में विजेता प्रतिभागियों को पुररूकृत किया। उन्होंने वर्ष 2028 में वर्ल्ड रोज कन्वेंशन की मध्यप्रदेश रोज सोसायटी को मेजबानी और भोपाल में आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई एवं साधुवाद दिया। राज्यपाल श्री पटेल ने अखिल भारतीय गुलाब प्रदर्शनी पर आधारित पुस्तिका का लोकार्पण भी किया।
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि प्रकृति का सुखद और सरस वातावरण, कोमल भावनाओं को मज़बूत करता है। दिलों-दिमाग को तरोताजा कर शीतलता और आनंद प्रदान करता है। जिस तरह हमारा देश भौगोलिक, भाषाई, खान-पान, वस्त्र, वेश-भूषा, रहन-सहन की विभिन्नताओं के साथ सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। उसी तरह गुलाब भी 100 से अधिक रूप, रंग, आकार और प्रकार की भिन्नताओं को अपने में समेटे हुए है। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि मान्यतानुसार सफेद गुलाब शांति और शुद्धता, लाल गुलाब सच्चे प्रेम, पीला गुलाब मित्रता, गुलाबी गुलाब सम्मान, प्रशंसा और ऑरेंज गुलाब उत्साह का प्रतीक है। गुलाब का फूल सामाजिक, धार्मिक, पारिवारिक संबंधों की मानवीय भावों-भावनाओं को नि:शब्द व्यक्त करने में सहायक होता है।
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि वर्तमान में फ्लोरी कल्चर का बहुउ्देशीय महत्व स्थापित हुआ है। हमें जलवायु परिवर्तन के आधार पर फ्लोरीकल्चर को अपनाना चाहिए। गुलाब की खेती में किसानों की आर्थिक समृद्धि और खुशहाली का रास्ता भी है। इसमें निर्यात की व्यापक संभावनाएं हैं। गुलाब की व्यवसायिक खेती को बढ़ावा देने के लिए नई किस्मों के अनुसंधान और उत्पादन के प्रयासों को प्रोत्साहन भी दिया जाना चाहिए।