मुख्यमंत्री ने गायत्री मंदिर से गणेश मंदिर तक नव निर्मित फ्लाई-ओवर ब्रिज एवं एलिवेटेड कॉरीडोर का किया लोकार्पण

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि आज भोपाल को मिली 154 करोड़ रूपये की लागत के फ्लाई-ओवर की सौगात नगर के विकास को गति देगी। यह नव निर्मित फ्लाई-ओवर हमारे महान देशभक्त और संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम से जाना जायेगा। उन्होंने कहा कि भोपाल, देश का दिल है। यह देश की सुंदरतम राजधानी है। वर्ष 1956 में जब मध्यप्रदेश का गठन हुआ था, उस समय भोपाल एक छोटा सा गांव था। लंबे समय तक इसका विकास रुका रहा। हमारी सरकारों ने इसका विकास किया। अब भोपाल का तेज गति से विकास किया जाएगा। तीन किलोमीटर लंबा नव निर्मित फ्लाई-ओवर गायत्री मंदिर से गणेश मंदिर तक बनाया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह सुयोग है कि आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर इसका लोकार्पण हो रहा है। यह पुल एक और नेताजी सुभाष चंद्र सेतु और दूसरी ओर वीर सावरकर सेतु को मिलाएगा। बड़ी चुनौतियों के बीच इस ब्रिज का निर्माण हुआ है, इसके लिए लोक निर्माण मंत्री और उनका विभाग बधाई के पात्र है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बावड़िया-कलां क्षेत्र में आवागमन की सुविधा की दृष्टि से 180 करोड रुपए की लागत से फ्लाई-ओवर बनाए जाने की घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द बैरागढ़ ब्रिज का भी लोकार्पण किया जाएगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव गुरूवार को भोपाल में 3 किलोमीटर लंबे नव निर्मित फ्लाई-ओवर ब्रिज का लोकार्पण कर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस पुल के बन जाने से ओबेदुल्लागंज, नर्मदापुरम, बैतूल, खंडवा और जबलपुर मार्ग पर यातायात सुगम होगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज हमारे महान देशभक्त नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है, उन्हें हम हृदय से नमन करते हैं। उनका जीवन हम सबके लिए प्रेरणादायी है। उन्होंने अंग्रेजों को चुनौती दी और स्वतंत्रता संग्राम को नई राह दिखाई। वर्ष 1923 में उन्होंने अंग्रेजों की आईसीएस परीक्षा प्रवीण्य सूची में उत्तीर्ण की, परंतु उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी करने के स्थान पर देशभक्ति का मार्ग चुना। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव सर्वाधिक मतों से जीता।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने समानता की लड़ाई लड़ी। संविधान निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है, उन्होंने धारा 370 का विरोध किया था। हम उनकी स्मृति में पंच तीर्थ उनके जन्म स्थान, दीक्षा स्थल, कर्मभूमि, शिक्षा स्थल और जहां उन्होंने शरीर त्याग किया वहां तीर्थ स्थल विकसित कर रहे हैं।

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