डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईआईटी बॉम्बे में क्वांटम लैब और क्रायोजेनिक्स सुविधा का उद्घाटन किया; भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा

मुंबई: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज आईआईटी बॉम्बे का दौरा किया, जहाँ उन्होंने क्वांटम अनुसंधान प्रयोगशालाओं का निरीक्षण किया और संस्थान की नई लिक्विड हीलियम सुविधा का उद्घाटन किया। यह दौरा क्वांटम विज्ञान, क्रायोजेनिक्स और अगली पीढ़ी के कंप्यूटिंग में भारत के बढ़ते पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है।
स्वदेशी क्वांटम टेक्नोलॉजी की समीक्षा
मंत्री ने क्वांटम लैब में भारत के स्वदेशी क्वांटम सेंसिंग एवं इमेजिंग प्लेटफॉर्म की पहली श्रृंखला की समीक्षा की, जिसे देश की अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं में एक बड़ी छलांग माना जा रहा है।
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पोर्टेबल मैग्नेटोमीटर (QMagPI): डॉ. सिंह को देश के पहले पोर्टेबल मैग्नेटोमीटर QMagPI के बारे में जानकारी दी गई। यह उपकरण नैनोटेस्ला (nT) स्तर पर अति-निम्न चुंबकीय क्षेत्रों का पता लगाने में सक्षम है। इसे हीरे में नाइट्रोजन रिक्तिका (NV) केंद्रों का उपयोग करके विकसित किया गया है।
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अनुप्रयोग: रणनीतिक क्षेत्रों, रक्षा अनुप्रयोगों, खनिज अन्वेषण और उच्च-परिशुद्धता वैज्ञानिक उपकरणों के लिए महत्वपूर्ण।
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समर्थन: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने इस प्रगति में सहयोग दिया है।
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क्वांटम डायमंड माइक्रोस्कोप (QDM): उन्होंने आईआईटी बॉम्बे के पीक्वेस्ट समूह द्वारा निर्मित भारत के पहले स्वदेशी क्वांटम डायमंड माइक्रोस्कोप (QDM) का भी अवलोकन किया।
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क्षमता: यह नैनोस्केल, त्रि-आयामी चुंबकीय क्षेत्र इमेजिंग प्रदान करता है, जो तंत्रिका विज्ञान, पदार्थ अनुसंधान और अर्धचालक निदान में क्रांति लाने के लिए तैयार है। यह एआई/एमएल प्रणालियों के साथ एकीकृत है।
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स्वास्थ्य सेवा में क्वांटम अनुप्रयोग
श्री सिंह ने स्वास्थ्य सेवा में क्वांटम तकनीकों की बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डालते हुए क्यू-कॉन्फोकल प्रणाली की जाँच की।
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यह स्वदेशी कॉन्फोकल माइक्रोस्कोप प्रारंभिक अवस्था के कैंसर निदान के लिए महत्वपूर्ण है।
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यह प्रणाली टी3 रिलेक्सोमेट्री का उपयोग करते हुए रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज़ (ROS) के स्तरों का पता लगाने में सक्षम है, जो अंतःकोशिकीय परिवर्तनों को इंगित करता है।
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सफलता: यू87-एमजी ग्लियोब्लास्टोमा और केराटिनोसाइट्स कोशिकाओं पर सफल प्रयोगों ने इसकी क्षमता प्रदर्शित की है।
लिक्विड हीलियम सुविधा का उद्घाटन: राष्ट्रीय आधारभूत परिसंपत्ति
प्रयोगशाला के दौरे के बाद, डॉ. सिंह ने लिक्विड हीलियम सुविधा का उद्घाटन किया।
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महत्व: इसे एक आधारभूत राष्ट्रीय अनुसंधान परिसंपत्ति करार दिया गया है, जो क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग, अतिचालकता, क्वांटम कंप्यूटिंग, और स्वास्थ्य देखभाल प्रौद्योगिकियों में भारत की क्षमताओं को बढ़ावा देगी।
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उपयोग: यह सुविधा अब राष्ट्र को समर्पित है और उद्योगों, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों द्वारा उपयोग के लिए खुली है।
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लागत प्रभावी: यह एक कुशल हीलियम पुनर्प्राप्ति प्रणाली से लैस है, जिससे क्रायोजेनिक प्रयोगों की लागत में वर्तमान व्यय का लगभग 10वें हिस्से तक कमी आने की उम्मीद है।
क्वांटम कंप्यूटिंग और क्रायोजेनिक्स
मंत्री ने कहा कि क्वांटम कंप्यूटरों की बढ़ती वैश्विक मांग को देखते हुए भारत को क्रायोजेनिक्स अवसंरचना को मजबूत करना होगा।
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क्वांटम कंप्यूटिंग डाइल्यूशन रेफ्रिजरेटरों पर निर्भर करती है, जो लगभग 10 मिलीकेल्विन (-272°C से नीचे) के अत्यंत निम्न तापमान पर काम करते हैं।
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नई लिक्विड हीलियम सुविधा भविष्य में डाइल्यूशन प्रशीतन इकाइयों के स्वदेशी विकास की नींव रखती है, जो भारत की दीर्घकालिक तकनीकी आत्मनिर्भरता के लिए रणनीतिक आवश्यकता है।
विकसित भारत का दृष्टिकोण
डॉ. सिंह ने निष्कर्ष निकाला कि क्वांटम लैब की प्रगति और नई क्रायोजेनिक्स सुविधा, दोनों ही अगली पीढ़ी के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारत के तेज़ी से बढ़ते नेतृत्व का प्रदर्शन करती हैं, जो विकसित भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप है।



