सिंहस्थ : 2028 के लिए घाट निर्माण, शिप्रा शुद्धिकरण, बैराज निर्माण कार्यों की भी हुई समीक्षा

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि किसानों की समृद्धि के साथ प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन के लिए सिंचाई क्षेत्र का निरंतर विस्तार आवश्यक है। इसके लिए जल संसाधन विभाग और सभी संबंधित एजेंसियां तेजी से कार्य करें। वर्तमान में शासकीय स्रोतों से प्रदेश में सिंचाई प्रतिशत 52 लाख हेक्टेयर से अधिक हो चुका है। इसे शीघ्र ही दोगुना करने का लक्ष्य ध्यान में रखकर कार्य किया जाए जिससे आने वाले 3 वर्ष में प्रदेश में 100 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षेत्र का विस्तार हो जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कृषि के साथ ही उद्योग क्षेत्र में पानी देने, पेयजल प्रबंध और ऊर्जा उत्पादन में जल का उपयोग जल संसाधन विभाग के स्रोतों से हो रहा है। सिंचाई के 100 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में लक्ष्य के अनुसार जल संसाधनों के समुचित उपयोग को पूरी प्राथमिकता दी जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गुरूवार को जल संसाधन विभाग की समीक्षा के दौरान विभिन्न परियोजनाओं से बढ़ रहे सिंचाई क्षेत्र की जानकारी भी प्राप्त की।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने की सिंहस्थ : 2028 के कार्यों की समीक्षा

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान शिप्रा शुद्धिकरण, नदी एवं जल निकायों के विकास और घाट निर्माण कार्यों की भी समीक्षा की। बैठक के दौरान बताया गया कि वर्तमान में शिप्रा पर लगभग 30 किलोमीटर लंबाई में घाट निर्माण का कार्य हो रहा है, यह सभी कार्य वर्ष 2027 में पूर्ण करने का लक्ष्य है। घाटों के निर्माण से सिंहस्थ के दौरान एक दिन में लगभग 5 करोड़ श्रद्धालु स्नान का पुण्य प्राप्त कर सकेंगे। शिप्रा नदी पर बैराज निर्माण कार्यों की भी समीक्षा की गई।

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