“वन्य जीव संरक्षण और किसानों की सुरक्षा के लिए ऐतिहासिक कदम”: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

बोमा तकनीक से शाजापुर-उज्जैन से 913 नीलगायों और कृष्णमृगों का सफल स्थानांतरण
मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों की फसल सुरक्षा और वन्य जीव संरक्षण के लिए एक सराहनीय अभियान पूरा किया।
- अभियान की प्रेरणा: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश, जिन्होंने कृष्णमृगों और नीलगायों द्वारा फसलों को पहुंचाए जा रहे भारी नुकसान को देखते हुए स्थायी समाधान चाहा।
- सफलता के आँकड़े: 10 दिनों के अभियान में कुल 913 वन्य जीवों को सुरक्षित पकड़ा गया और स्थानांतरित किया गया। इनमें 846 कृष्णमृग और 67 नीलगाय शामिल हैं।
- मुख्य तकनीक: हेलीकॉप्टर (रॉबिन्सन-44) का उपयोग सर्वेक्षण और हांका लगाने के लिए किया गया, जबकि बोमा तकनीक (हरे जाल से ढकी फनल-आकार की बाड़) का उपयोग उन्हें बिना बेहोश किए पकड़ने के लिए किया गया।
- विशेषज्ञ सहयोग: दक्षिण अफ्रीका की ‘कंजरवेशन सॉल्यूशंस’ कंपनी के 15 विशेषज्ञों और एक अनुभवी पायलट ने भारतीय वन विभाग की टीम को प्रशिक्षित कर सहयोग दिया।
- पुनर्वास स्थल: सभी नीलगायों को गांधीसागर अभयारण्य में और कृष्णमृगों को गांधीसागर, कूनो तथा नौंरादेही अभयारण्यों के उपयुक्त स्थानों पर छोड़ा गया।
- मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण: “मध्यप्रदेश में हम ऐसा संतुलन स्थापित करना चाहते हैं जहाँ प्रकृति, वन्य जीव और किसान, तीनों सामंजस्य के साथ आगे बढ़ें।”
इस सफल प्रयास से उज्जैन, शाजापुर और आसपास के किसानों को बड़ी राहत मिली है, और यह पूरे भारत के लिए मानव-वन्य जीव संघर्ष को वैज्ञानिक तरीकों से हल करने का एक नया उदाहरण प्रस्तुत करता है।



