शिक्षण संस्थाएँ राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने वाली पीढ़ी का निर्माण करें – राज्यपाल पटेल

भोपाल

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि प्रदेश की सभी शिक्षण संस्थाओं का यह दायित्व है कि वह ऐसी पीढ़ी का निर्माण करे, जो राष्ट्र के प्रति सजग रहे, अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करे, वंचितों के लिये कार्य करके देश एवं समाज में आमूलचूल परिवर्तन लाये। विकसित भारत के निर्माण के लिये यह आवश्यक है कि नई शिक्षा नीति ऐसी हो, जिसमें युवाओं का स्किल डेवलपमेंट हो। उन्हें रोजगार के विभिन्न अवसर प्राप्त हो। विद्यार्थी अपनी पसन्द के क्षेत्र में ज्ञान अर्जित कर सकें। राज्यपाल पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में कला, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, डिजिटल टेक्नालॉजी, संस्कृति आदि को शामिल किया गया है, जो युवाओं के लिये अनन्त संभावनाओं के द्वार खोलता है। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थाएं हमेशा नये विचारों, नई प्रेरणाओं, नये प्रयोगों को शामिल करें। राज्यपाल पटेल उज्जैन में विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन पर आयोजित सेंट्रल झोन वाईस चांसलर कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए।

राज्यपाल पटेल ने कहा कि एक कुलपति के पास लगभग एक हजार विद्यार्थी आते हैं। कुलपतियों का यह दायित्व है कि वे उनके बौद्धिक ज्ञान को सही मार्गदर्शन प्रदान करे। उन्होंने कहा कि मैं जब भी किसी दीक्षान्त समारोह में जाता हूं तो विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान करता हूं। उपाधि मिलने के बाद विद्यार्थी को नौकरी मिलती है। उसकी शादी भी हो जाती है, लेकिन मैं आजकल यह देखता हूं कि उच्च शिक्षित डिग्रीधारी युवक अपने माता-पिता का तिरस्कार करता है। उन्हें अकेला छोड़ देता है। यह प्रवृत्ति ठीक नहीं है। लोग अपने घरों के नाम मातृछाया एवं पितृछाया रखते हैं, लेकिन न माता का, न पिता का सम्मान करते हैं तो मुझे समझ में यह नहीं आता है कि उनके शिक्षित होने का क्या फायदा। राज्यपाल पटेल ने कहा कि सभी विद्यार्थी अपने माता-पिता द्वारा उन्हें पढ़ाने एवं बड़ा करने में उठाये गये कष्टों को न भूलें। यदि विद्यार्थी अपने माता-पिता की सेवा करता है तो यह मान लीजिये कि वह राष्ट्र के प्रति भी अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करेगा। ऐसे व्यक्ति का जीवन सफल रहता है।

सेंट्रल झोन वाईस चांसलर कॉन्फ्रेंस में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं उत्तराखण्ड के 270 से अधिक शासकीय एवं अशासकीय विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षाविद, प्राध्यापक शामिल हुए। कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन की समीक्षा और चुनौतियों पर चर्चा हुई।

यूजीसी के चेयरमेन एम.जगदीश कुमार ने बताया कि नई शिक्षा नीति-2020 से भारतीय शिक्षा प्रणाली में परिवर्तनकारी बदलाव आ रहे हैं। विभिन्न हितधारकों के बीच नीति के विवरणों को प्रसारित करने और उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों ने इसका क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिये हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं। यूजीसी के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के विभिन्न प्रावधानों के बारे में क्षेत्र के प्रबंधन, शैक्षणिक, प्रशासनिक सदस्यों और अन्य हितधारकों के सन्दर्भ में जानकारी को सुगम बनाया जा रहा है। विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में क्रेडिट फ्रेमवर्क, एकसाथ दो अकादमिक कार्यक्रमों की पढ़ाई करना, दोहरी शिक्षा व्यवस्था, दोहरी डिग्री कार्यक्रम प्रदान करना और भारतीय और विदेशी उच्चतर शिक्षण संस्थानों के बीच शैक्षणिक सहयोग कार्यक्रम शामिल है।

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश कुमार पाण्डे ने विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में 280 कोर्स वर्तमान में संचालित किये जा रहे हैं। बहुउद्देशीय अनुसंधान, फॉरेंसिक साइंस, डिजिटल टेक्नालॉजी के पाठ्यक्रम भी इसमें शामिल हैं। विश्वविद्यालय का उद्देश्य है कि विद्यार्थियोयं में स्कील डेवलपमेंट विकसित हो एवं वे रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम लेकर रोजगार प्राप्त करें। उन्होंने बताया कि कम्प्यूटर साइंस एवं बीएससी के बच्चों ने विभिन्न मॉडल भी डेवलप किये हैं। पर्यावरण एवं शोध के क्षेत्र में भी कार्य किये जा रहे हैं। वर्तमान में 35 मॉडल पेटेंट हुए हैं। उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रमों में गीता के विभिन्न आयामों को भी शामिल किया गया है। विश्वविद्यालय में 25 राज्यों के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सेंट्रल झोन वाईस चांसलर कॉन्फ्रेंस से शोध एवं अभ्यास में मदद मिलेगी और शिक्षा के क्षेत्र में नये आयाम खुलेंगे।

इसके पूर्व राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन से सम्बन्धित लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन कुलानुशासक शैलेंद्र कुमार शर्मा एवं आभार प्रदर्शन कुल सचिव अनिल शर्मा ने किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रोफेसरगण, विद्यार्थी उपस्थित थे।

 

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