विश्वस्तरीय शिक्षा की ओर मध्य प्रदेश: मुख्यमंत्री की उच्च शिक्षा में व्यापक सुधारों पर जोर

मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव की शुरुआत करते हुए, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को उत्कृष्टता के नए मापदंड स्थापित करने का आह्वान किया है। मुख्यमंत्री का स्पष्ट निर्देश है कि ये संस्थान केवल डिग्री बांटने के केंद्र न रहें, बल्कि उन्हें आईआईटी और आईआईएम के स्तर पर उन्नत किया जाए और वे पूरी तरह से विश्वस्तरीय बनें।

सोमवार को हुई उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में डॉ. यादव ने ज्ञान को केवल सैद्धांतिक न रखकर, रोजगारपरकता पर केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में बहुउद्देश्यीय, व्यावसायिक और नौकरी-उन्मुख पाठ्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए।

बैठक में यह जानकारी दी गई कि अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय में कृषि और सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय में बीटेक (डेयरी टेक्नॉलाजी) जैसे नए पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री ने विमानन जैसे उच्च संभावना वाले क्षेत्रों के लिए भी कोर्स शुरू करने का सुझाव दिया। एक महत्वपूर्ण निर्णय के रूप में, महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय को आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय बनाने का प्रस्ताव भी विचाराधीन है, जो प्रदेश के 50 से अधिक आयुर्वेदिक कॉलेजों को अपने अधीन ले आएगा।

मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में मानव संसाधन की कमी को दूर करने के लिए भी सख्त रुख अपनाया। उन्होंने विश्वविद्यालयों में सभी प्रकार की भर्तियों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने का निर्देश दिया। वर्तमान में प्रोफेसर श्रेणी के 1585 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया जारी है।

डॉ. यादव ने प्रदेश के सभी कुलपतियों से अगले पाँच वर्षों के लिए एक ठोस रोड-मैप बनाने का निर्देश दिया। इस रोड-मैप में कृषि, पशुपालन, पर्यटन, माइनिंग जैसे क्षेत्रों के लिए विशिष्ट रोजगारपरक डिग्री और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने वाले पाठ्यक्रमों को प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने विश्वविद्यालयों से यह जानकारी भी मांगी कि उन्होंने कितने छात्रों को सफलतापूर्वक प्लेसमेंट दिया है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता और प्रभावशीलता का मूल्यांकन हो सके।

उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने बताया कि ‘प्रधानमंत्री उषा’ परियोजना के तहत 326 करोड़ रुपये के निर्माण कार्य चल रहे हैं। साथ ही, नर्सिंग एवं पैरामेडिकल संस्थानों में 2025-26 सत्र के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

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